जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में, वक़्त नहीं लगता…
हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में, वक़्त नहीं लगता…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो उड़ते हैं अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में, वक़्त नहीं लगता…
हर तरह का वक़्त आता है ज़िंदगी में
वक़्त के गुज़रने में, वक़्त नहीं लगता…
जला रहा हूँ खुद अपने लहू से दिल के चराग़,
ना जाने कितनी मुहब्बत है रोशनी से
मुझे…
तुम्हारी शातिर नजरे कत्ल करने में
माहिर हैं,
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तो सुन लो. हम भी मर-मर
कर जीने में उस्ताद हो गये है।
ख्याल आजाद होते है…
पंख तो इच्छाओ के होते है।
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये …
मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये…
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे
पर,
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ये दिल,
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तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर
होगी
उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता ..
मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहे…
सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे,
या बहुत दूर जा चूका हे कोई,
या मुलाकात होने वाली हे….
मर जाए तो बढ़ जाती है इंसान की कीमत ..
जिंदा रहे तो जीने की सजा देती है दुनिया.
उस जगह हमेशा खामोश रहना….
जहां , दो कौड़ी के लोग ,,
अपनी हैसियत के “गुण-गान” गाते हों….।