कहीं किसी रोज

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…

शायर तो कह रहा था

शायर तो कह रहा था कि हमने कहा है शेर और शेर कह रहा था चुराए हुए हैं हम….

कुछ तो सोचा होगा

कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर… वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती….

तेरे गुरूर को देखकर

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!

हम रोने पे आ जाएँ

हम रोने पे आ जाएँ तो दरिया ही बहा दें, शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता…

मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है

मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।

ज़िन्दगी को समझने में

ज़िन्दगी को समझने में वक़्त न गुज़ार, थोड़ी जी ले पूरी समझ में आ जायेगी।

आँख पर शीशा लगाया है

आँख पर शीशा लगाया है कि महफ़ूज़ रहे….. तेरी तस्वीर जो पानी में बनाई हुई है…..!!!

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.

कल फिर जो तुमको

कल फिर जो तुमको देखा दीवार की ओंट से ज़िन्दगी फिर मुस्कुरा उठी नजरों की चोट से

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