अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न
करना जमाने से.
लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न
करना जमाने से.
लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!
मुझे पूरा तोड़ देता है,
तेरा आधे मन से बात करना…
करूँ ना याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे
*गज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे|
इश्क़ होना भी लाज़मी है…
शायरी लिखने के लिए…!
वरना….
कलम ही लिखती…
तो हर दफ्तर का बाबू ग़ालिब होता…!!
बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी,
वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…
कुछ तबियत भी रही थी ऐसी
चैन से जीने की सूरत न रही
जिसको चाहा उसे अपना न सके
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई…
“कुछ रिश्तों में शक्कर कम थी ….
कुछ अंदर से हम कड़वे थे ।।
होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत,
वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।
लफ़्ज़ मैने भी चुराए है कई जगह से
कभी तेरी मुस्कान से कभी तेरी बेरुखी से|
जब किसी की कमियां भी अच्छी लगने लगे ना,,,,
तो मान ही लीजिये,, ये दिल दगाबाजी कर गया…,