बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ,
अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो,
जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
काफी दिनों से,
कोई नया जख्म नहीं मिला;
पता तो करो..
“अपने” हैं कहां ?
दुश्मनों के खेमें में चल रही थी
मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुंचा तो वो बोले
यार तेरी उम्र बहुत लंबी हैं|
न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल, न मलाल अच्छा है,
यार जिस हाल में रखे, वही हाल अच्छा है।
कुछ न कुछ तो है उदासी का सबब…
अब मान भी जाओ की याद आते है..हम…
धुले नहीं दाग खून के और
हमे बद्दुआ देने चले आए है।
गीली आँखों का दर्द कुछ ख़फ़ा सा है…ये जो सीने में धड़कता है बेवफ़ा सा है…
आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था..
कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..
दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|