कभी पलकों पे आंसू हैं, कभी लब पर शिकायत है..
मगर ऐ जिंदगी फिर भी, मुझे तुझसे मुहब्बत है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी पलकों पे आंसू हैं, कभी लब पर शिकायत है..
मगर ऐ जिंदगी फिर भी, मुझे तुझसे मुहब्बत है..
जनाजा देखकर मेरा वो बेवफा बोल पड़ी,
वही मरा है ना जो मुझ पर मरता था..
ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..
टूटे हुए ख्वाबों की चुभन कम नहीं होती,
अब रो कर भी आँखों की जलन कम नहीं होती….!!
ऐ काश ज़िन्दगी भी किसी अदालत सी होती,,,
सज़ा-ऐ-मौत तो देती पर आख़िरी ख्वाइश पूछकर…
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,,,
वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…
मेरे यार मुझ को लूट के लौटे हैं अभी,,,
मेरे दुश्मन तूने इस बार भी देर कर दी…
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं,
मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…