जो दिल की गिरफ्त में

जो दिल की गिरफ्त में हो जाता है,
मासूक के रहमों-करम पर हो जाता है,
किसी और की बात रास नहीं आती,
दिल कुछ ऐसा कम्बख्त हो जाता है,
मानता है बस दलीले उनकी,
ये कुछ यूँ बद हवास हो जाता है,
यार के दीदार में ऐसा मशगूल रहता है,
कि अपनी खैरियत भूल कर भी सो जाता है,
खुदा की नमाज भी भूल कर बैठा है,
कुछ इस कदर बद्सलूक हो जाता है,
जब दिल की गिरफ्त मे हो कोई,
जाने क्या से क्या हो जाता है…

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!

कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

जिन्दगी ने दिया सब कुछ

जिन्दगी ने दिया सब कुछ पर वफा ना दी
जख्म दिये सब ने पर किसी ने दवा ना दी
हमने तो सब को अपना माना
पर किसी ने हमे अपनो में जगह ना दी|

हम सीने से लगा कर रोये ..

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये ..

तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई

बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और

हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|

दर्द दे गए

दर्द दे गए सितम भी दे गए..

ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए,

दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का,

और हमें कभी न रोने की क़सम दे गए|