हाथ उठाऊ और तेरा नाम न लूँ कैसे मुमकिन है•••
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तू मेरी दुआओं में शामिल है |
Tag: जिंदगी शायरी
उफ़ ये गजब की रात
उफ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम,
हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते|
हजारों महफिलें है
हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं,
पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
रफ्ता रफ्ता उन्हें
रफ्ता रफ्ता उन्हें भूले हैं मुद्दतों में हम..
किश्तों में खुदकुशी का मज़ा हमसे पूछिये..
ग़लतफहमी की गुंजाइश
ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..
मौसम जो जरा सा
मौसम जो जरा सा सर्द हुआ,
फिर वही पुराना दर्द हुआ…….!!
बताओ तो कैसे
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,,,
वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
मैं अगर नशे में
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
बड़ा गजब किरदार है
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…
आज उसने अपने हाथ से
आज उसने अपने हाथ से पिलायी है यारो,,,
लगता है आज नशा भी नशे मे है…