छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर..
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं..
Tag: जिंदगी शायरी
जानते थे मरने तक
जानते थे मरने तक सताओगे, लेकिन मार के भी सताओगे…
ऐसा तो कभी सोचा भी न था|
ज़ुल्फ़ के साए में
ज़ुल्फ़ के साए में एक झुमका छुपा है,
उसकी तस्वीर में रात और चाँद दोनों क़ैद हैं|
जब शहर के लोग
जब शहर के लोग न रास्ता दे क्यों वन में ना मैं जा कर ठहरु…
दीवानो की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या…
उस हुस्न के सच्चे मोती
उस हुस्न के सच्चे मोती को हम देख सके पर छु न सकें…
जिसे देख सके पर छु न सके वह दौलत क्या वह खज़ाना क्या…
सोच में सारे
सोच में सारे परिन्दे सब के सब ख़ामोश हैं !
एक परिन्दा शाख़ पर जब शाम तक लौटा नहीं !!
चलो अब शाम हुई
चलो अब शाम हुई हम घर को चलते हैं,
पंछियों का देर तक आवारा घूमना अच्छा नहीं होता…
आज ज़ाम मैंने
आज ज़ाम मैंने शौक से उडेल दी बेसिन में,
कसूर ये था कि एक अश्क गिरा था उसमें,
डर ये था कि कहीं ज़हर ना पी जाऊँ…
अजीब ईत्तेफाक की
अजीब ईत्तेफाक की हमें इश्क हो गया,
जिन्दगी अब सितम जाने और क्या देगी…
बेवजह रोने की आदत
सुना था उसे बेवजह रोने की आदत थी,
मैं वजह पूछता रहा…वो रोती चली गयी…