मुद्दतों बाद इक ख़ुशी का

मुद्दतों बाद इक ख़ुशी का पता मिला है मुझे,
वो जो कहीं बहुत दूर था आज मिला है मुझे,
उसके इस अनकहे एहसास में डूबा रहा हूँ मैं,
वो जब अश्क लिये आँखों में गले मिला है मुझे..

कुछ तहखानों में

कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें….
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …..
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है|

वो तो ऐसा था

वो तो ऐसा था के एक आँसू गिरने की भी वजह पूछा करता था,
पर ना जाने क्यू अब उसे बरसात की पहचान नही होती !!!