वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,
जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।
Tag: जिंदगी शायरी
मुझे मजबूर करती हैं
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना…
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता।
चल चल के थक गया है
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…
ख़ाक जिया करते हैं…
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं…
उसको मालूम कहाँ
उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी,
वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी,
वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे,
पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…
उस रास्ते पर
भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान होता है
लेकिन यह जरुरी नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर
चले इसलिए आप अपने रास्ते खुद चुनिए
क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता..
अधूरे से रहते मेरे लफ्ज़
अधूरे से रहते मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना…!
मानो जैसे मेरी हर शायरी की रूह तूम ही हो…
हमारी इस अधूरी कहानी में
हमारी इस अधूरी कहानी में वफ़ा के सबूत मत माँग मुझसे,
मैंने तेरी ख़ातिर वो आँसु भी बहाए है जो तेरी आखों में थे…
ये हादसा तो
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था
हमारी मोहब्बत करने की
हमारी मोहब्बत करने की अदा कुछ और ही है ,
हम याद करते है उसको जिसने हमें दिल से निकाल रखा है…