खुलासा तो कर दूँ ,अपनी मोहब्बत कामगर…
मेरी ये संपत्ति,मेरी आय से अधिक है.!!!
Tag: जिंदगी शायरी
मैंने उन तमाम परिदों के
मैंने उन तमाम परिदों के पर काट दिए…
जिन को अपने अंदर उड़ते देखा था कभी|
परिन्दों की फ़ितरत से
परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
उसने पूछा की
उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो,
हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन|
तुम नाराज हो जाओ
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ,
पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ|
तुम्हारी नाराजगी बहुत
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
रूक गया है
रूक गया है आसमां मेँ चाँद चलते चलते . . . .
तुमको अब छत से उतरना चाहिए . . . .
पाँव लटका के
पाँव लटका के दुनिया की तरफ . . . .
आओ बैठे किसी सितारे पर . . . .
ए जिन्दगी कभी
ए जिन्दगी कभी चैन से मेरे साथ बैठ…
मैं आदमी बड़ा खुशमिजाज़ हूँ…
लाज़मी नहीं के
लाज़मी नहीं के तुझे आंखों से देखूं..
तेरी खुशबू तेरे दीदार से कम तो नहीं|