लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ

लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ जो तुम्हे , इक लफ्ज़ मुहब्बत ही काफी है|

रूह के रिश्तों की

रूह के रिश्तों की यही खासियत रही है.. महसूस हो ही जाती है जो बात अनकही है…!!

क़यामत है उसने

क़यामत है उसने नज़र भी मिलाई हमें लग रहा था कि बस बात होगी|

मुमकिन नहीं के

मुमकिन नहीं के तू हो मुकम्मल मेरे बगैर !! ए ख्याल-ए-यार मेरे संग संग चल……!!

कांच के कपड़े

कांच के कपड़े पहनकर हंस रही हैं बिजलियां उनको क्या मालूम मिट्टी का दीया बीमार है…

कोई ठुकरा दे

कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना.. दोस्तों क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में ज़बरदस्ती नहीं होती..

अच्छा हुआ के

अच्छा हुआ के वक़्त पर ठोकर लगी मुझे छूने चला था चाँद को दरिया में देखकर

मंद मंद मुस्कान

मंद मंद मुस्कान नूरानी चहरे पर, गालो पे जुल्फे बैठी है पहरे पर, आंखो मे तीरी महताब सी रौशनी, काजल बन जाये तलवार तेरे चहरे पर…

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है मेरे खामोश सवालो पर… तब दिल की जुबाँ स्याही से पन्नें सजाती है..!!

हजारो जबावों से

हजारो जबावों से अच्छी है मेरी खामोशी ना जाने कितने सवालों की आबरू रखी ।

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