वो जब अपने हाथों की

वो जब अपने हाथों की लकीरों में मेरा नाम ढूँढ कर थक गये
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ़ मेरे हों……….

बस ये कहकर

बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने कि,

जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता….

तुम मिली तो ऐसा लगा

तुम मिली तो ऐसा लगा कि पूरी दुनिया को पा लिया…
जब तुम जुदा हुईं मुझसे,

तो ऐसा लगा किसी ने मेरा

दिल ही निकाल लिया|