देखी है बेरुखी की… आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए.।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखी है बेरुखी की… आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए.।
हमारे बगैर भी आबाद थीं महफिलें उनकी.
और हम समझते थे कि उनकी रौनकें हम से है…..!!!!
प्यार करता हूँ मैं तुमसे,
खुद से ज्यादा, हद से ज्यादा..
आज खुद को इतना तनहा पाया हमने,
जेसे लोग दफना के चले गए हो..!!
जो करते है मोहब्बत सूरत देखकर,
वो करते है वफ़ा जरूरत देखकर !!
जिसको आना नहीं उसको ही देखने की हसरत क्यूँ है…
मेरी नज़रें अक्सर सवाल करती हैं
भूल बैठा है वो मेरा नाम न जाने कब से
दिल ने सदियों से जिसे अपना बना रखा है …
पहले कभी ये यादें ये तनहाई ना थी,
कभी दिल पे मदहोशी छायी ना थी,
जाने क्या असर कर गयीं उसकी बातें,
वरना इस तरह कभी याद किसी की आयी ना थी।
दोनों आखों मे अश्क दिया करते हैं
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते है
जब भी पलक झपके तुम्हारी समझ लेना
हम तुम्हे याद किया करते हैं
हम जिनके दीवाने है वो गैरों के गुण गाते थे,
हमने कहा आपके बिन जी ना सकेंगे,
तो हंस के कहने लगे,
के जब हम ना थे तब भी तो जीते थे..