पसंद करने लगे हैं अब शायरी मेरी मतलब मुहब्बत सिर्फ मैंने ही नहीं की।
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खुदा की बंदगी
खुदा की बंदगी शायद अधूरी रह गयी,तभी तेरे मेरे दरमियाँ ये दूरियाँ रह गयी|
यकीन नहीं होता
तुम्हारे लिये मिट जाने का इरादा था ..
तुम ही मिटा दोगे….. यकीन नहीं होता
रोज मोहब्बत के नए
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से
लिखना……….!!
मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख
लो…….!!
जल जाते है
जल जाते है मेरे अंदाज से मेरे दुश्मन….
क्योंकि एक मुद्दत से मैंने न प्यार बदला और न दोस्त…
कहा रहते हो
मुद्दतों बात किसीने पूछा कहा रहते हो
हमने मुस्कुरा के कहा अपनी औकात में
इश्क में सिक्का
इश्क में सिक्का,,
जब भी उछाला..
जीत मेरी ही हुई
इस तरफ …आप …”ख्वाब” से थे
उस तरफ.. ख्वाब . .”आप” से थे.!
अब तो सोने दो
शबे फुरकत का जागा हू फरिशतो अब तो सोने दो..
कर लेना हिसाब फिर कभी आहिस्ता आहिस्ता..!”
कड़वा सच
जीवन का कड़वा सच ∥
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है…
और
अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़ाप्पन कहलाता है….
किस्मतवालों को ही
किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह दोस्तों के
दिल मे….
यूँ ही हर शख्स तो जन्नत का हक़दार नहीं होता….