मुश्किलें हालात में उन्हीं अपनो ने साथ छोड दिया
जो कभी कहते थे पराये साथ नहीं देते.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुश्किलें हालात में उन्हीं अपनो ने साथ छोड दिया
जो कभी कहते थे पराये साथ नहीं देते.
तेरे हुस्न पे तारीफों भरी किताब लिख देता,
काश…
तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती ।
तेरी बात “ख़ामोशी” से मान लेना !! यह भी अन्दाज़ है, मेरी नाराज़गी का|
होता नहीं है कोई बुरे वक्त में शरीक, ..
पत्ते भी भागते हैं खिजां में शजर से दूर.
ये बात और है कि मै गरीब हूँ मगर
हमेशा…मुझको पैसे से ज्यादा तेरी कमी
खली…
वो वक्त मेरा नही था, इसका मतलब ये नही के वो इश्क नही था|
डूबे कितने रब जाने,,
पानी कितना दरिया जाने|
अपनी इन नशीली आंखो को जरा झुका दीजीए मोहतरमा..
मेरे मजहब मे नशा हराम है..
जहाँ कमरों में क़ैद हो जाती है
“जिंदगी”…
लोग उसे शहर कहते हैं….!!
हमने भी मुआवजे की अर्जी डाली है दोस्तों,
उनकी यादों की बारिश ने
काफ़ी नुकसान पहुँचाया है !!…