इंसान ना कुछ

इंसान ना कुछ हंसकर सीखता है
ना कुछ रोकर सीखता है
जब भी कुछ अलग सीखता है तो,
या तो किसी का होकर सीखता है…
या फिर किसी को खोकर सीखता है…!!!

अपने ही दर्द साथ खड़े है

अपने ही दर्द साथ खड़े है इक कोने में

चार आंसू हमें भी बहा लेने दो

नाराज क्यों होते हो चले जाएँगे तुम्हारी महफिल से

मुझे जरा मेरे दिल के टुकडे़ तो उठा लेने दो……….

एक मैं हूँ

एक मैं हूँ कि समझा नहीं खुद को अब तक…

एक दुनिया है कि ना जाने मुझे क्या-क्या समझ लेती है…!!