थका दिया था दोनों को ही किताबों ने..
एक पढ़कर सो गया..एक बेचकर..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
थका दिया था दोनों को ही किताबों ने..
एक पढ़कर सो गया..एक बेचकर..!!
किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
जीतने हंगामे थे सुखी टहनियों से झड़ गये
पेड़ पर फल भी नहीं आँगन में पत्थर भी नहीं
नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता
है, इतिहास गवाह है की आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पड़े !
प्यार मे ताकत हैं दुनिया को झुकाने की…
वरना क्या जरूरत थी राम को झूठे बेर खाने की…!!!
तरस जाओगे हमारे लबों से सुनने को एक एक लफ़्ज़,
प्यार की बात तो क्या हम शिकायत भी नहीं करेंगे
ये है ज़िन्दगी किसी के घर आज नई कार आई
और किसी के घर मां की दवाई उधार आई..
वक़्त मिला उसे तो हमें भी याद कर ही लेगा वो, फ़ुरसत के लम्हों में हम भी बड़े ख़ास हैं उसके लिए.
यूँ तो सिखाने को जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है मगर,,,
झूठी हंसी हँसने का हुनर तो बस मोहब्बत ही सिखाती है!!!
उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी,
दिल नहीं देते तो जान चली जाती..