अपनी खुशियों की

अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना, लोग अक्सर दुसरो का सामान खो देते है !!

कुछ अजीब सा

कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियां; ना नफरत की वजह मिल रही है ना मोहब्बत का सिला..!

इतना याद ना आया

इतना याद ना आया करो की रातभर सो ना सकू, दोपहर को जब आंख खुलती है तो घरवाले नाश्ता नहीं देते !

मंजूर है तेरे

मंजूर है तेरे हर फैसले, दूर जाने की वजह.. कि मजबूरी होगी कोई तेरी, आँसू पोंछ ले पगली, मैने कब कहा तेरी बात पर यकीऩ नहीं…

लोग रहते हैं

लोग रहते हैं मकानों को महल बना कर, और मेरा भगवान मिट्टी की मूरत में रहता है…

कुछ कहे अनकहे किस्सों में

कुछ कहे अनकहे किस्सों में कैद है वह हर जंग, लोग फिर भी हर जीत पर शुक्र करते हैं किस्मत का..

मैं हौसलों की

मैं हौसलों की राह बना कर चलता रहा, वह मजबूरियों की चादर बना सोता रहा…

दर बदर पनाह को

दर बदर पनाह को भटकता है सच, झूठ महलों में अठखेलियाँ करता है…

फिर से कहो

फिर से कहो ना आज उसी अदा से, मुझे तुमसे मोहब्बत है।।

आज फिर उतनी ही

आज फिर उतनी ही मोहब्बत से बुलाओ ना, कह दो मिलने का मन कर रहा है आओ ना।।

Exit mobile version