जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में,
हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में,
हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!
इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!
आज फिर बैठे है
इक हिचकी के इंतज़ार में..
पता तो चले
वो हमें कब याद करते है…
रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो..
*सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!
रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है….
ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..
अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी,
तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
चलो दौलत की बात करते हैं,
बताओ तुम्हारे दोस्त कितने हैं….!!
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का,
सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….