लहज़ा शिकायत का था मगर,
सारी महफिल समझ गयी मामला मोहब्बत का है !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लहज़ा शिकायत का था मगर,
सारी महफिल समझ गयी मामला मोहब्बत का है !!
आज धुंध बहुत है…….
काश मै टकरा जाऊँ तुमसे..
मेरे दिल ने आज उसको बहुत याद कर रहा है।।दोस्त
दुआ करो की उसे भूल जाऊँ..
दिल रोज सजता है, नादान दुल्हन की तरह..!!
गम रोज चले आते हैं, बाराती बनकर..!
आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो,
हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो…
बहुत मुश्किल नहीं हैं,
ज़िंदगी की सच्चाई समझना,जिस तराज़ू पर दूसरों को तौलते हैं, उस पर कभी ख़ुद बैठ के देखिये।
कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला?
जो भी मिलता है समझा के चला जाता है।
घोंसला बनाने में ..
हम यूँ मशगूल हो गए ..!
कि उड़ने को पंख भी थे ..
ये भी भूल गए ..!!!
दिल तो बहुत जलता है यारों पर यह सोच के खामोस हु
की दिल की हर जलन को पन्ने में उतारू तो कही पन्ना जल न जाए
यूँ पानी से नहीं थमने वाली तेरी हिचकियाँ,
इलाज़ चाहिए तो हमारी मौत की दुआ किया कर…