दर दर भटक रही थी पर दर नहीं मिला,
उस माँ के चार बेटे हैं पर रहने को घर नहीं मिला।
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Dosti Kam Na Ho
Zindgi Gujar Jaye
Par….
Dosti Kam Na Ho,
Yaad Hame Rakhana,
Chahe Paas Ham Na
Ho,
Qayamat Tak Chalta
Rahe
Dosti Ka ye Safar,
Dua Karo Kabi
ye ……
RISHTA Khatam Na
ho…
किसी की कदर
सीख जाओ वक्त पर किसी की
कदर करना…
शायद सैल्फी इस बात का प्रमाण है के हम ज़िंदगी में
इतने अकेले रह गए है
कि हमारे आस पास हमारी फोटो खींचने वाले यार
दोस्त भी नहीं बचे”
अब तो सोने दो
शबे फुरकत का जागा हू फरिशतो अब तो सोने दो..
कर लेना हिसाब फिर कभी आहिस्ता आहिस्ता..!”
कड़वा सच
जीवन का कड़वा सच ∥
गरीब आदमी जमीन पर बैठ जाए तो वो जगह उसकी औकात कहलाती है…
और
अगर कोई धनवान आदमी जमीन पर बैठ जाए तो ये उसका बड़ाप्पन कहलाता है….
एक उसूल पर
एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें,
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..
गुजर रही है
गुजर रही है जिन्दगी जिक्र हे खुदा से गाफिल,
ए दिल ए नादां सम्भल जा ज़रा के मौत का कोई वक्त नही.
अगर ख़ुशी मिलती
अगर ख़ुशी मिलती है उसे हम से जुदा होकर;
तो दुआ है ख़ुदा से कि उसे कभी हम ना मिलें…!!
इतना शौक मत
इतना शौक मत रखो
इन ” इश्क ” की गलियों में जाने का..
क़सम से रास्ता जाने का है आने का नही..!!
खुली हवाओं की
खुली हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है !
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है !!
जो जुर्म करते हैं, इतने बुरे नहीं होते !
सज़ा न दे के अदालत बिगाड़ देती है !!