दिल की कोरी किताब लाया हूँ, नर्म नाज़ुक गुलाब लाया हूँ ।
तुमने डर-डर के जो लिखे ही नहीं, उन खतों के जवाब लाया हूँ ॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दिल की कोरी किताब लाया हूँ, नर्म नाज़ुक गुलाब लाया हूँ ।
तुमने डर-डर के जो लिखे ही नहीं, उन खतों के जवाब लाया हूँ ॥
आजमाया है आज फिर हवाओं ने तो गिला कैसा..!
वो कौन सा दौर था जब आंधियो ने चिरागों के इम्तिहान ना लिए….!
हाल पूछते नहीं ये बे-वफ़ा दुनिया जिंदा लोगों का,
चले आते हैं तैयार हो कर जनाज़े पे बारात की तरह..
मुझे जलन है तेरे आईने से,
ये तुझे देखता है बहुत करीब से..
उनकी आँखों से आँखें मिली
और हमको नशा हो गया…
ख्वाहिश सिर्फ यही है की..
जब मैं तुझे याद करु तू मुझे महसूस करे….!!!!
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो..
ऐ चाँद ले चल मुझे वहाँ जहाँ उसके सिवा कोई ना हो ।।
रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती,
घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।
बस तेरी ख़ामोशी जला देती है मेरे दिल को ,
बाकी सब अंदाज़ अछे है तेरी तस्वीर के . . .
हवा के साथ बहने का मज़ा लेते हैं वो अक्सर,
हवा का रुख़ बदलने का हुनर जिनको नहीं आता।