जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म उसके हवाले था ….!
पर उस जालिम ने जब भी वार किया तो सीधा दिल पर किया …!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म उसके हवाले था ….!
पर उस जालिम ने जब भी वार किया तो सीधा दिल पर किया …!
आईने से ले नहीं सकता कोई भी इन्तेक़ाम
एक टूटेगा ‘हज़ारों’ को जनम दे जायेगा
मै तरसती रही हर पल उसकी आवाज़ सुनने को
कितनी आसानी से कह दिया उसने वक़्त मिलेगा तो बात कर लेंगे ..
चलो एक बार फिर बुरे बनते है…
जिन्हें
हम पसंद नही,
उनकी गली से फिर गुजरते है
एक बात पूछूं जवाब मुस्कुरा कर देना
मुझे रूला कर खुश तो हो ना ?
ऐ जिन्दगी मेरा हक़ मत छिनना तू क्यों की
वक्त बहुत कुछ छीन चुका हैं….
इक नज़र ही देखा था शौक़ ने शबाब उन का
दिन को याद है उन की रात को है ख़्वाब उनका
गिर गए निगाहों से फूल भी सितारे भी
मैंने जब से देखा है आलम -ए-शब उन का
शौक था अपना-अपना..
किसी ने इश्क किया,
तो कोई जिंदा रहा…
Mere Jism Se Uski Khushbu Aaj Bhi Aati Hai,
Main Ne Fursat Mein Kabhi Seene Se Lagaya Tha Usey…
Dil me khushiyo ki aahat rakhna
zindagi me jeetne ki chahat rakhna
aur kya doge hamein koi tohfa
bas
apne hotho pe yuhi muskurahat rakhna
Koi DAULAT Pe Naaz Karta Hai
Koi Shoharat Pe Naaz Karta Hai
Jisko milte hai humare Khat
Woh Apni KISMAT Pe Naaz Karta Hai..
वो मेरी आखरी सरहद हो जैसे,
सोच जाती ही नहीं उस से आगे…