जख्म ही देना

जख्म ही देना था तो पूरा जिस्म उसके हवाले था ….!

पर उस जालिम ने जब भी वार किया तो सीधा दिल पर किया …!

मै तरसती रही

मै तरसती रही हर पल उसकी आवाज़ सुनने को
कितनी आसानी से कह दिया उसने वक़्त मिलेगा तो बात कर लेंगे ..

इक नज़र ही

इक नज़र ही देखा था शौक़ ने शबाब उन का
दिन को याद है उन की रात को है ख़्वाब उनका

गिर गए निगाहों से फूल भी सितारे भी
मैंने जब से देखा है आलम -ए-शब उन का

Mere Jism Se

Mere Jism Se Uski Khushbu Aaj Bhi Aati Hai,

Main Ne Fursat Mein Kabhi Seene Se Lagaya Tha Usey…

Dil me khushiyo ki aahat rakhna

zindagi me jeetne ki chahat rakhna

aur kya doge hamein koi tohfa

bas

apne hotho pe yuhi muskurahat rakhna

Koi DAULAT Pe Naaz Karta Hai

Koi Shoharat Pe Naaz Karta Hai

Jisko milte hai humare  Khat
Woh Apni KISMAT Pe Naaz Karta Hai..