कर दुनिया की तरफदारी हम ,
खुद के खिलाफ हो बैठे हैं ।
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कहीं धब्बा न लग जाये
कहीं धब्बा न लग जाये तेरी बंदानवाजी पर, मुझे भी देख मुद्दत से तेरी महफिल में रहते है।
कोई लफ्ज़ मुहब्बत का
कोई लफ्ज़ मुहब्बत का, बता दे ऐ दोस्त
जो फ़रेब की चादर से लिपटा ना हो…..!!
हज़ार दर्द हों सीने में
हज़ार दर्द हों सीने में फिर भी हँस देना
सभी के बस का ये कमाल थोड़ी है
दामन की सिलवटो पे
दामन की सिलवटो पे बड़ा नाज़ है हमें घर से निकल रहे थे कि बच्चा लिपट गया
ख़ुद की साजिशो में
ख़ुद की साजिशो में उलझा हुआ ….आज बहुत अकेला सा लग़ा खुद को…
फ़रार हो गई होती
फ़रार हो गई होती कभी की रूह मिरी बस एक जिस्म का एहसान रोक लेता है|
ख़ामियों को गिन रहा हूँ
ख़ामियों को गिन रहा हूँ ख़ुद से रूबरू होकर …..
जो आईने से ज़्यादा अपनों ने बयाँ की हैं
हवा के हौसले
हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है वो मेरी ख़्वाहिशें तस्वीर करना चाहता है
हँसकर कबूल क्या करलीं
हँसकर कबूल क्या करलीं, सजाएँ मैंने…….
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया, हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का……