मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
गुजर जाऊंगा यूँ ही किसी लम्हे की तरह,
और तुम….. औरो में ही उलझे रहना..!!
उसने भी तो खोया है मुझे . . . .
अपना नुकसान एक जैसा है . . . .
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
भीड़ मे हर वक्त मुस्कुराते हुए चेहरे
हद से ज्यादा झुठ बोलते है !!
जो महकते हो तेरी मोहब्बत से…मैंने उन जज़्बात से मोहब्बत की है…
सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले,ऐसी मेरी नीयत है…
मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी,तेरी क्या कीमत है.!!!
तेरा वजूद है कायम मेरे दिल में उस इक बूँद की तरह…
जो गिर कर सीप में इक दिन मोती बन गयी…
बहुत सोचकर आज खुद से ये सवाल किया मैने…
ऐसा क्या है मुझमे के लोग मुझसे वफा नही करते.!!!
हुई शाम उन का ख़याल आ गया
वही ज़िंदगी का सवाल आ गया…