तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई,
वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे..!!
Tag: शायरी
घेर लेती है
घेर लेती है कोई ज़ुल्फ़, कोई बू-ए-बदन
जान कर कोई गिरफ़्तार नहीं होता यार|
मेरी महोब्बत के
मेरी महोब्बत के अपने ही उसुल है…
तुम करो न करो पर मुझे साँसो के टुटने तक रहेगी|
इस दुनिया में
इस दुनिया में अजनबी बने रहना ही ठीक है..लोग बहुत तकलीफे देते है “अक्सर अपना बना कर” ।
दर्द ओढ़ता हूँ
दर्द ओढ़ता हूँ तेरे और यादें बिछाता हूँ
अकेला अब भी नहीं तेरे जाने के बाद…..
हम भी कैसे दिवाने निकले….
हम भी कैसे दिवाने निकले…..
ए ज़िंदगी हम तुम्हें मनाने निकले….
मुमकिन हुआ तो
मुमकिन हुआ तो तुम्हे माफ करूँगा मैं…
फिलहाल तो तेरे आंसुओ का मुन्तज़िर हूँ…
उम्र भर चल के
उम्र भर चल के भी पाई नहीं मंज़िल हम ने,
कुछ समझ में नहीं आता ये सफ़र कैसा है…
पहले तो अपने दिल की
पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइये
फिर जो निगाहे यार कहे मान जाइये
कुछ कह रही है आप की सीने की धड़कने, मेरी सुनिये तो दिल का कहा मान जाइये
एक धुप सी जमी है आखो के आस पास आप है तो आप पर कुर्बान जाइये।
कहाँ तो तय था
कहाँ तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए |