अच्छा हुआ जिसे चाहा….
उसके नही हुए……
नही तो हम गुलाम ही हो जाते…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अच्छा हुआ जिसे चाहा….
उसके नही हुए……
नही तो हम गुलाम ही हो जाते…..
कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए
कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे, जाम हो जाए
तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
ग़मों को मुझसे एक चाहत सी हो गई है,
मैं उदास नहीं, उदास रहने की आदत सी हो गई…
हाथ काँप गए, दिल से उसका अक्स मिटाते,
कभी कभी जीने के लिए क्या क्या करना पड़ता है..
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में,
बस कोई अपना नजऱ अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता |
जरा सी जगह छोड देना अपनी नींदों में,
क्योकि….आज रात तेरे ख्वांबों मे हमारा बसेरा होगा…!!!
गजब है उनका हंस कर नज़रे झुका लेना,
पुछो तो कहते है….कुछ नही बस युँ ही…!!!
देखकर किसी का दर्द जो आह. . निकल जाती हैँ……
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती हैँ