मेरी मासूम मोहब्बत ,
की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी मासूम मोहब्बत ,
की गवाही न मांग मेरी पलकों पे सितारों ने इबादत की है…
चुना था बाग से सब से हसीं फूल समझ कर तुझे….
मालूम न था तेरा खरीदार कोई और होगा|
छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़..
कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
बरकरार रख तू अपना हौंसला हर कदम पर
पत्थरों पर अभी किस्मत आजमाना बाकी है..
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती.
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दुंगा ,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है..
तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..
तकदीर ने यह कहकर बङी तसल्ली दी है मुझे कि..
वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे, जिन्हें मैंने दूर किया है..
लिखा जो ख़त हमने वफ़ा के पत्ते पर,
डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढते..