हाथ गर खाली हो, तो ये ध्यान रखना … घर जो लौटो, तो होठों पर मुस्कान रखना ..
Tag: शर्म शायरी
एक अरसे से
एक अरसे से मुयासिर ही नहीं है वो लफ्ज़ , जिसे लोग करार कहते हैं …!!
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
सवाल ज़हर का नहीं
सवाल ज़हर का नहीं था वो तो हम पी गए तकलीफ लोगो को बहुत हुई की फिर भी हम कैसे जी गए
इक चेहरा पड़ा मिला
इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर, जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा
हम रोऐ भी ….
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके…. और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई|
एक मुनासिब सा
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम मेरा.., रोज़ ज़िन्दगी पूछती है रिश्ता तेरा मेरा|
जाने क्या टूटा है
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं|
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो… ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो |
कमाल की तक़दीर
कमाल की तक़दीर पायी होगी उस शख्स ने, जिसने तुझसे मोहब्बत भी ना की हो और तुझे पा लेगा।।