उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी, वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी, वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे, पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…
Tag: शर्म शायरी
एक मुनासिब सा
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम मेरा.., रोज़ ज़िन्दगी पूछती है रिश्ता तेरा मेरा|
जाने क्या टूटा है
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं
रुह को शाद करें
रुह को शाद करें दिल को जो पुरनुर करें हर नझारे में ये तनवीर कहां होती है |
सोचा ही नहीं था
सोचा ही नहीं था ज़िन्दगी में ऐसे भी फ़साने होंगे, रोना भी ज़रूरी होगा,आंसू भी छुपाने होंगे।
तफ़सील से तफ्तीश
तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की, मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में|
मुझे समझाया न करो
मुझे समझाया न करो अब तो हो चुकी, मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछकर करते|
मौत बेवज़ह बदनाम है
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब, जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
उसने भी तो खोया है
उसने भी तो खोया है मुझे . . . . अपना नुकसान एक जैसा है . . . .
भीड़ मे हर वक्त
भीड़ मे हर वक्त मुस्कुराते हुए चेहरे हद से ज्यादा झुठ बोलते है !!