किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.
तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तजार में तब तक .?
मैं मांग के आऊं खुदा से तुमको जब तक ..
एक तो सुकुन
और एक तुम,
कहाँ रहते हो आजकल ??
मिलते ही नही
आँख भर आयीं तुम्हारी .. क्यों मुझे देख कर ….
भला पत्थर भी रोते हैं कभी शीशे के ज़ख़्मों पर
सजदों में भीगती है जिनकी आखे वो लोग छोटी बातो पर रोया नहीं करते |
इंसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती,
आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…
हुस्न भी तेरा,
अदाएं भी तेरी,
नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी,
कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे…
लोग कहते है की सच्चे प्यार की हंमेशा जीत होती है,परंतु होती कब है ये भी बता देते !!
ज़िंदगी में आईना..जब भी उठाया करो…
पहले खुद देखो फिर दिखाया करो..
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!