हम भी फूलों कि तरह अपनी आदत से मजबूर है
तोड़ने वाले को भी खूशबू की सजा देते है…!!
Tag: शर्म शायरी
खुद को मेरे दिल में
खुद को मेरे दिल में ही छोड़ गए हो,
तुम्हे तो ठीक से बिछड़ना भी नहीं आया…
मत तरसा किसी को
मत तरसा किसी को इतना अपनी मोहब्बत के लिए…
क्या पता तेरी ही मोहब्बत पाने के लिए जी रहा हो कोई|
अब क्यों बेठे हो
अब क्यों बेठे हो मेरी कब्र बेवजह कह रहा था चले जाऊंगा तब एतबार न आया|
छा जाती है
छा जाती है खामोशी अगर गुनाह अपने हों..!!
बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है….!!
अच्छा हुआ कि
अच्छा हुआ कि तूने हमें तोड़ कर रख दिया,
घमण्ड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का …..
ये सोचना ग़लत है
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं,
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं।
यहाँ लोग हैं लुटेरे
ऐ दिल चल छोड अब ये पहरे,
ये दुनिया है झूठी यहाँ लोग हैं लुटेरे।।
मुझे मंज़ूर थे
मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर,
तुमसे बिछड़ जाना ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गई…
गलत फहमी का एक पल
गलत फहमी का एक पल इतना जहरीला होता है….
जो प्यार भरे सौ लम्हों को……एक पल में भुला देता है……