मैं तो बस युही गुनगुना रहा था…..”कभी जो बादल बरसे”…
.खुदा ने तो सीरियस्ली
ले लिया….!!!!
Tag: शर्म शायरी
एक नफरत ही हैं
एक नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं..
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो जिन्दगी बीत जाती हैं.
पैसे मैं भले
पैसे मैं भले ऊपर नहीं लेकर जाऊंगा,मगर जब तक मैं नीचे हूँ,ये मुझे बहुत ऊपर लेकर जाएगा…
कोई हसरत नहीं
जिन्दगी में हसरतों की यूँ तो कोई कमी नहीं,
पर ना जाने क्यों तुम्हारे सिवा और कोई हसरत नहीं.
तूने तो कहा था
तूने तो कहा था हर शाम गुजरेगी तेरे साथ,
तू बदल गया, या तेरे शहर में शाम नहीं होती…
दिल जीत लिया
कुछ लोगों का दिल जीत लिया
आकर इस बरसात ने,
और कुछ इस सोच में डूबे हैं
कि आज सोयेगें कहाँ ?
अब बस भी कर
अब बस भी कर एे बादल..!!!
गलती की मैंने …
तुझे अपनी दास्ताँ सुना कर
शहर भीगा है…
देख ली न तूने मेरे आँसुओं की ताक़त,
कल रात मेरी आँखें नम थीं,
आज तेरा सारा शहर भीगा है…
ये सर्द हवाए
ये सर्द हवाए और ये रिमझिम बारिश,
लग ता हैं इस बार मार्च का मिजाज भी दगाबाज है.!!
ना तुम अपने
ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो।
एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है।
इसलिये वक़्त उन्हें भी दो जो तुम्हे चाहते है दिल से। क्योकि
कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर अमीर जरूर बना देते है।