ए मौसम तू

ए मौसम तू चाहे कितना भी बदल जा

पर,
इंसान के जैसे बदलने का हुनर तुझे कभी नही आएगा…॥

सिर्फ सिक्के थे

जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो

मज़े से भीगते रहे बारिश में ….

जिनके जेब में नोट थे वो छत

तलाशते रह गए…

वो भगवान है

मंदिर में वो भगवान है जिसे

हमनें बनाया,
और घर में माँ बाप है जिन्होनें हमें बनाया…

उलझनों और कश्मकश में

उलझनों और कश्मकश में..
उम्मीद की ढाल लिए बैठा

हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए..
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ |
लुत्फ़

उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचोली का …
मिलेगी कामयाबी, हौसला

कमाल का लिए बैठा
हूँ l
चल मान लिया.. दो-चार दिन नहीं मेरे
मुताबिक..
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हे मुबारक …
मुझे क्या

फ़िक्र.., मैं कश्तीया और दोस्त…
बेमिसाल लिए बैठा हूँ…