वो जब भी मिलता है अंदाज़ ऐ जुदा होता है
चाँद सौ बार
भी निकले तो नया होता है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो जब भी मिलता है अंदाज़ ऐ जुदा होता है
चाँद सौ बार
भी निकले तो नया होता है
लिखता हूँ तो तुम ही उतरते हो क़लम से..
पढ़ता हूँ तो लहजा भी
तुम आवाज़ भी तुम..
हर बार
तोडा दिल तूने इस क़दर संग-दिल
गर जोड़ता टुकड़े तो ताजमहल बनता
हाथ मेरा देख कर ये
मशवरा उसने दिया..
कुछ लकीरों को मिटाना अब ज़रूरी हो गया
आधी से ज्यादा शब-ए-गम काट चुका हूँ ,
अब
भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है …
हर
एक आगाज का अंजाम तय है,
सहर कोई हो उसकी शाम तय
है..!!!
वक्त ने कई जख्म भर दिए, मै भी बहुत कुछ भूल चुका
हूँ..
पर किताबों पर धूल जमने से कहानियाँ कहाँ बदलती है..
थक गया हूँ रोटी के पीछे भाग
भाग कर।
थक गया हु सोती रातो मै जाग जाग कर।।
काश मिल
जाये वही बिता हुआ बचपन।
जब माँ..खिलाती थी भाग भाग
कर।
और सुलाती थी जाग जाग कर।
कोशिशें आज भी जारी हैं
हर वक्त
मुस्कराने की!
पर कमबख्त़ ये आँखें
धोख़ा दे ही जाती हैं
कोशिशें
आज भी जारी हैं
जख्मों को छुपाने की!
पर कमबख्त़ ये दुनियाँ
उन्हें कुरेद जाती है!
कड़वा सच………
.
गरीब से करीब का रिश्ता भी
छुपाते है लोग……
.
और अमीरो से दूर का रिश्ता भी
बढ़ा-चढ़ा कर
बताते है लोग……
? चाहें कितना भी कमा लो लेकिन कभी घमंड
न करना, क्योकि शतरंज का खेल खत्म होते ही राजा और मोहरे
एक ही डिब्बे में रख दिए जाते हैं।