दिन में काम सोने नही देता,
रात में एक नाम सोने नही देता।।
Tag: शर्म शायरी
तुम जब मेरा
तुम जब मेरा सब ले गए,
तो मुझे क्यों छोड़ गए।।
मिले थे एक अजनबी बनकर
मिले थे एक अजनबी बनकर,
आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम।।
तुझसे मेरा रिश्ता
तुझसे मेरा रिश्ता क्या है,मालूम तो नही मगर,
तेरे लिए दुआ माँगना,
न जाने क्यो अच्छा लगता है..!!
दिलों कि बात
दिलों कि बात भले ही करता हो ज़माना लेकिन,
आज भी मुहब्बत चेहरों से ही शुरू
होती हैं..
खुशनसीब कुछ ऐसे हम
खुशनसीब कुछ ऐसे हम हो जायें,
तुम हो हम हो और इश्क़ हो जायें।।
उन्हे कोई और भी
उन्हे कोई और भी चाहे..
इस बात से हम थोङा- थोङा जलते हैं…!
ग़ुरुर है हमें इस बात पर..कि
सब हमारी पसंद पर ही क्यूँ मरते हैं|
चेहरा पढ़ कर
चेहरा पढ़ कर मेरा
आज आयना भी
पूछता है मुझसे ये सवाल
तू कल फिर नहीं
सोया रात भर..
छत टपकती है
छत टपकती है उसके कच्चे घर की,
वो किसान फिर भी बारिश की दुआ करता है
ख़्वाहिशों का काफिला
ख़्वाहिशों का काफिला भी अजीब ही है ,
अक्सर
वहीँ से गुज़रता है जहाँ रास्ता न हो .