ईश्क में रास्तों की परवाह कौन करता है,
जो इस रास्तें पर चलता है वो बहकता जरूर हैं॥
Tag: शर्म शायरी
तू ज़माने में
मेरा बिना खुश रहे तू ज़माने में,
कि याद भी आ ना पाऊँ अनजानें में…॥
इंसान तब बड़ा नहीं होता
इंसान तब बड़ा नहीं होता जब वह बड़ी-बड़ी बातें करने लगता है,
बल्कि तब बड़ा होचा है जब वह छोटी-छोटी बात समझने लगता है…॥
जब जब तेरी
जब जब तेरी जरूरत होती है.. !
..उदासी खूबसूरत होती है.. !!
नदिया का पानी
नदिया का पानी भी खामोश बहता यहाँ
खिली चांदनी में छिपी लाख खामोशियाँ
बारिश की बूंदों की होती कहाँ है जुबां
सुलगते दिलों में है खामोश उठता धुंआ
हम तो अंधेरे में
हम तो अंधेरे में सोने के आदी थे,
और वो बेवफ़ा मेरी कब्र पे दिये जलाने आ गए…!
तेरा जाना हुआ
क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ
जहां से ज़माने को गुज़रे ज़माना हुआ
मेरा समय तो वहीँ पे है ठहरा हुआ
बताऊँ तुम्हे क्या मेरे साथ क्या क्या हुआ
होने की गवाही
होने की गवाही के लिए ख़ाक बहोत है।
या कुछ भी नहीं होने का इरादा बहोत है।
बिछड़ जाते हैं
यादें क्यों नहीं बिछड़ जाती….
लोग तो पल में बिछड़ जाते हैं.!!
दवा कैसी है
अब दवा कैसी है दुआ का वक़्त
तेरे बीमार में रहा क्या है