दिल ऐसी शय नही जो काबू में रह सके…समझाऊ किस कदर किसी बेखबर को मैं…!!
Tag: शर्म शायरी
मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी.
मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी..
मेरे चेहरे पर कोई जंची ही नही..
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों..!!!
इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..!!!
कुछ देर तो हँस लेने दो
कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे….
हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ….
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का
लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।
शतरंज में वजीर
शतरंज में वजीर और ज़िन्दगी में ज़मीर,
अगर मर जाये तो खेल ख़त्म हो जाता है…..
कितनी मासूम सी है
कितनी मासूम सी है ख्वाहिस आज मेरी,
कि नाम अपना तेरी आवाज़ से सुनूँ !!
इस शहर में
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होठों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं|
उन चराग़ों में
उन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे|
खो गई है मंजिलें
खो गई है मंजिलें, मिट गए हैं रस्ते,
गर्दिशें ही गर्दिशें, अब है मेरे वास्ते |