तुम मुझे देखना छोडो तो बताऊँ तुमको,
महफ़िल में सभी लोग तुम्हे देख रहे हैं !
Tag: शर्म शायरी
कौन गुज़ारता है
कौन गुज़ारता है यहाँ जिंदगी.. याराे…
वह तो खुद-ब-खुद गुज़रती रहती हैं…!!
बंद लिफाफे पे
बंद लिफाफे पे रखी चिट्ठी सी है ये जिंदगी..
पता नहीं अगले ही पल कौन सा पैगाम ले आये..
तुम एक बार
सुनो ! तुम एक बार पुछ लो की कैसा हुँ,
घर में पडी सारी दवाइयाँ फेंक ना दू तो कहना…
हमने उसको वहाँ भी
हमने उसको वहाँ भी जाकर माँगा था,जहाँ लोग सिर्फ अपनी खुशियां मांगते है|
छू गया जब
छू गया जब कभी ख्याल तेरा,
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा,
कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में,
और घर देर तक महकता रहा !
ख्वाब कोई देखे नही
ख्वाब कोई देखे नही कई दिन से आमिर!
चैन से सोये हुए अरसा हो गया है !
ये जिंदगी और सजा
मोहब्बत तो खूब करती ये जिंदगी
और सजा भी खूब देती है
जैसे बादाम के शर्बत में मिर्च काली
मिला दी हो उसने|
फरियाद कर रही है
फरियाद कर रही है तरसी हुई निगाह!
किसी को देखे हुये अरसा हो गया है!
एक ही काफी है
दुआ तो एक ही काफी है गर कबूल हो जाए,
हज़ारों दुआओं के बाद भी मंजर तबाह देखे हैं ।