काम किसी के आये इंसान उसे कहते हैं,
दर्द पराया उठा सके इंसान उसे कहते हैं,
दुनियाँ एक पहेली कहीं धोखा कहीं ठोकर,
गिर के जो संभल जाये इंसान उसे कहते हैं।
Tag: शर्म शायरी
दिल में है कुछ
दिल में है कुछ खलबली, मन में अंतर्द्वन्द्व।
राह अनेकों हैं मग़र, सबकी सब हैं बन्द।।
आए कितने जलजले
आए कितने जलजले, कितने ही सैलाब।
काँटों का दिल चीरता, पैदा हुआ गुलाब।।
बिलकुल बेकार नहीं हूँ
बिलकुल बेकार नहीं हूँ मैं,
नाकामियों की मिसाल के काम आता हूँ मैं|
जो क़िस्सा था
जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ…
वो था शहर भर को सुनाया हुआ…
ज़बाँ तक जो न आए
ज़बाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है…
फ़साना और होता है हक़ीक़त और होती है…
इश्क आँखों से
गलत सुना था कि,
इश्क आँखों से होता है….
दिल तो वो भी ले जाते है,
जो पलकें तक नही उठाते….
अजीब सा ज़ायका है
अजीब सा ज़ायका है तेरा जिन्दगी
जीभ पर लगती नहीं कि झट स्वाद बदल लेती है ।।
जो भी करता हूँ
जो भी करता हूँ साहब बेहिसाब करता हूँ…..
यहीं अंदाज़ है मेरा यहीं कमज़ोरी भी…..!!
लुटा के हर चीज़
लुटा के हर चीज़ मंजिल ऐ इश्क़ की राह में !!
हंस पड़ा हूँ मैं आज खुद को बर्बाद देख के !!