इम्तेहान तेरी तवज्जो का

इम्तेहान तेरी तवज्जो का है अब ऐ शाकी हम तो अब ये भी न बतायेंगे की हम प्यासे हैं

तुम्हारे बाद क्या रखना

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई, तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना |

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…..

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…… जैसे रूह को शुकुन चाहिए.

चाँदी उगने लगी हैं

चाँदी उगने लगी हैं बालों में उम्र तुम पर हसीन लगती है|

सख़्त हाथों से

सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।

सुना था मोहब्बत मिलती है

सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले, हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया|

प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारा.. बस जो रुलाता है उसी के गले लग कर रोने को दिल चाहता है

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरजू ये है कि बरसात तेज हो।

सब्र तहज़ीब है

सब्र तहज़ीब है मुहब्बत की और तुम समझते रहे बेज़ुबान हैं हम

उसे भी दर्द है

उसे भी दर्द है शायद बिछड़ने का, गिलाफ वो भी बदलती है रोज तकिए का…!

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