तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।
Tag: शर्म शायरी
बस इसी बात पे
बस इसी बात पे फांसला रखा मैं ने.. वो..करीब था..हर किसी के..!!
ज़िँदगी का खेल अकेले नहीँ
ज़िँदगी का खेल अकेले नहीँ खेला जाता..
हमारी तो टीम है आ जाओ या बुला लो . . .
कहते हैं… काला रंग
कहते हैं…
काला रंग अशुभ होता है
पर स्कूल का वो ब्लैक बोड
लोगों की जिन्दगी बदल देता है…..
सच बोल-बोल कर
सच बोल-बोल कर यूं दुश्मनी कब तलक..
झूठ बोलना सीख..कुछ दोस्त बना ले
अब कोई नक्शा नही
अब कोई नक्शा नही उतरेगा इस दिल की दीवार पर….!!
तेरी तस्वीर बनाकर कलम तोड़ दी मैंने…
हम भी मुस्कुराते थे
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!
अब डर लगता है
अब डर लगता है मुझे उन लोगो से…
जो कहते है, मेरा यक़ीन तो करो…!!
मुहब्बत में झुकना
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं है,
.
चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए…
शायरी तभी जमती है
शायरी तभी जमती है महफ़िल में
जब कुछ पुराने शायर अपना नया तजुर्बा रखते है….