कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
कभी साथ बैठो तो कहूँ क्या दर्द है मेरा..अब तुम दूर से पूछोगे तो सब बढ़िया ही कहूँगा…
तारीखें… हज़ारों साल में बस इतनी ही बदली,पहले दौर था पत्थरों का,अब लोग हैं पत्थरों के…!!
कहाँ मिलता है कोई दिल से चाहने वाला जनाब
यहाँ समझोतों पर सब रिश्ते चल रहे है|
अगर गुलाब देने से मोहबत हो जाया करती, तो आज माली सारे शहर भर का यार होता।
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
बाहें डाल कर , मेरी गर्दन तो नाप ली,
अब फन्दे मोहब्बत के , बनाना शुरू करो..!
गुनाहगार को इतना. पता तो होता हैं
ज़हा कोई नही होता खुदा तो होता हैं|
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना कर
कुछ लोग ऐसे भी है जिनका मेहबूब नहीं