घोंसला बनाने में ..
हम यूँ मशगूल हो गए ..!
कि उड़ने को पंख भी थे ..
ये भी भूल गए ..!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घोंसला बनाने में ..
हम यूँ मशगूल हो गए ..!
कि उड़ने को पंख भी थे ..
ये भी भूल गए ..!!!
दिल तो बहुत जलता है यारों पर यह सोच के खामोस हु
की दिल की हर जलन को पन्ने में उतारू तो कही पन्ना जल न जाए
यूँ पानी से नहीं थमने वाली तेरी हिचकियाँ,
इलाज़ चाहिए तो हमारी मौत की दुआ किया कर…
जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत
पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को
महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत..
हक़ हूँ में तेरा हक़ जताया कर,
यूँ खफा होकर ना सताया कर..
बेहिसाब झूठ कहा तो खुदा मान बैठे..
जरा सा सच बोल दिया बुरा मान बैठे…
कितना प्यार है तुमसे, वो लफ्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ,
महसूस कर मेरे एहसास को, अब गवाही कहाँ से लाऊँ।
कोई ख़ुशबू नहीं, साया नहीं, यादें नहीं पीछे,
मगर आहट किसी की है…कि मुड़कर देख लेता हूं…!!
जिस रिश्ते को बनाए रखने की चाहत
दोनो तरफ़ से एक जैसी ना हो ,उसका टूट जाना बेहतर है ….!!
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ..
तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..