मेरे सब्र का ना ले इम्तिहान …मेरी खामोशी को सज़ा ना दे…
??जो तेरे बगैर ना ज़ी सके…उसे ज़िन्दगी की दुआ ना दे…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरे सब्र का ना ले इम्तिहान …मेरी खामोशी को सज़ा ना दे…
??जो तेरे बगैर ना ज़ी सके…उसे ज़िन्दगी की दुआ ना दे…!!
निशानी क्या बताऊ तुझे अपने घर की,,
.
जहाँ दीवारे उदास लगे वहीँ चले आना..”
ये तो बड़ा मुझ पर अत्याचार हो गया .खामख्वाह मुझे तुझसे प्यार हो गया |.
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है की, कोई मुझे छोड़ सकता है लेकिन भूल नही सकता…!!
मेरे लिए एहसास मायने रखता है
रिश्ते का नाम,चलो……तुम रख लो
आईने के सामने खड़े होकर खुद से माफ़ी माँग ली मैंने;
सबसे ज्यादा खुद का दिल दुखाया है औरों को खुश करने में।
तुझे चाहते हुए बहुत दूर आ गये हमअब तेरी बारी है बता दे मेरी मंजिल कहां है..
उदास लम्हों की न कोई याद रखना;
तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना;
किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम;
बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।
दिल से नाजुक नही.. दुनिया मेँ कोई चीज
साहब लफ्ज का वार भी …
खंजर कि तरह चुभता है।
रंगो से डर नहीं लगता दोस्तों….
रंग बदलने वाले दोस्तो से लगता है…