लिखकर गज़ल हमने मोहब्बत का इजहार किया,
वो इतने नादान थे कि हँसकर बोले, एक ओर फरमाईय|
Tag: व्यंग्य
हमको टालने का
हमको टालने का शायद तुमको सलीका आ गया,
बात तो करते हो लेकिन अब तुम अपने नहीं लगते…
वो मुझे मेहंदी लगे
वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखा कर रोई,
मैं किसी और की हूँ बस इतना बताके रोई!
चले भी आओ
चले भी आओ तसव्वुर में मेहरबां बनकर…
आज इंतज़ार तेरा…दिल को हद से ज्यादा है ।
ज़िंदा रहने का
ज़िंदा रहने का…कुछ ऐसा ‘अन्दाज़’ रखो,
जो तुमको ना समझे…उन्हें’नज़रंदाज’ रखो.!!
जब वो मुझे देखकर
जब वो मुझे देखकर पहली बार मुस्कुराई थी,मैं तो उसी वक्त समझ गया की ये मुझे मुद्दतों तक रुलायेगी..
पलको पर रूका है
पलको पर रूका है समन्दर खुमार का,कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का..
मेरे नजदीक आ के
मेरे नजदीक आ के देख मेरे अहेसास की शिद्दत,
मेरा दिल कितना धड़कता है सिर्फ तेरे नाम के साथ !!
शतरंज में माहिर
बेशक ही वो शतरंज में माहिर रहे होंगे..
क्योंकि उनकी चाल पर हजारो फ़िदा है..!
ये मोहब्बत जो
ये मोहब्बत जो तुमसे है न,
मुझे किसी और का होने ही नहीं देती..