लिख दू कुछ

लिख दू कुछ ऐसा या कुछ ऐसा काम मैं कर जाउ,
फूट-फूट कर रोऐ दुनिया जिस दिन मैं मर जाउ|

वो हमे चाहे

वो हमे चाहे कितना भी बड़ा धोखा ही क्यों ना दे दे,
लेकिन दिल में उसे माफ़ करने की चाहत कही ना कही जरूर रहती है..

भीड़ इतनी भी न थी..

ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम,
शहर में भीड़ इतनी भी न थी..
पर रोक दी तलाश हमने,
क्योंकि वो खोये नहीं थे,
बदल गये थे…..