दुश्मनों के खेमें में चल रही थी
मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुंचा तो वो बोले
“यार तेरी उम्र बहुत लंबी हैं”
Tag: व्यंग्य
न जाने क्यूँ
न जाने क्यूँ हमें इस दम तुम्हारी याद आती है,
जब आँखों में चमकते हैं सितारे शाम से पहले….
यूँ ही गुजर जाती है
यूँ ही गुजर जाती है शाम अंजुमन में,
कुछ तेरी आँखों के बहाने कुछ तेरी बातो के बहाने!
लगी है मेहंदी
लगी है मेहंदी पावँ में क्या घूमोगे गावं मे…
असर धूप का क्या जाने जो रहते है छावं मे…!!
करलो एक बार
करलो एक बार याद मुझको….
हिचकियाँ आए भी ज़माना हो गया
मोहब्बत का असर
मोहब्बत का असर मुझ से मत पूछ ऎ हमराह ,
तेरे बग़ैर भी हम उम्र भर तेरे रहेगें|
चल अब मेरी
चल अब मेरी साँस की जमानत रखा ले तू
शायद इस तहर में बन जाऊ तेरे एतबार के काबिल.
ख्याल-ए-यार
ख्याल-ए-यार में नींद का तसव्वुर कैसा,
आँख लगती ही नहीं, आँख लगी है जब से|
कितने बरसों का सफर
कितने बरसों का सफर यूँ ही ख़ाक
हुआ।
जब उन्होंने कहा “कहो..कैसे आना हुआ ?”
दो कदम चलकर
दो कदम चलकर अक्सर हम रुक जाया करते है ,
क्यों इंतजार रहता है उनका,
जो राह में छोड़कर चले जाया करते है|