तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी…
में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी…
में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
उनके रूठ जाने में भी एक राज़ है साहब,
वो रूठते ही इसलिए है की कहीं अदायें न भूल जाएं।।
आपके चलने की भी क्या खूब अदा है
तेरे हर कदम पे एक दिल टूटता है|
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है, हाथों में पत्थर लेकर……..!!
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुकद्दर लेकर…………..!!
तकलीफ़ की बात ना करो साहेब..
बहुत तकलीफ़ होती है..
शब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी,
आपके आने की इक आस थी अब जाने लगी..
अरे ये इश्क है मेरी जान
कोई गणित का सवाल नही जो समझा सकूं|
हमे क्या मालुम था ईस तरह रास्ते मै छोड के जायेगी पगली,
पता होता तो साथ मे साईकल तो ले आते..
मैंने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह
तू मेरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा|
जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नही करती!!
उम्मीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से